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Monday, March 30, 2020

Coronavirus : बेवजह घर से निकलने की जरुरत क्या है?

लॉकडाऊनमध्ये करणार काय?
पिंपरी - 'बेवजह घर से निकलने की ज़रुरत क्या है?
मौत से आंख मिलाने की ज़रुरत क्या है?"
असा संदेश उर्दू, हिंदी, मराठी, सिंधी साहित्यिकांनी रविवारी (ता. २९) दिला. निमित्त होते पुण्यातील ''प्रयास हिंदी, उर्दू, मराठी साहित्य अकादमीतर्फे सकाळी आठ ते सायंकाळी सहा या वेळेत आयोजित ऑनलाईन मैफिलीचे.

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अकादमीने आवाहन केले होते की, ''आपको अपने फन को तराशा ने का मौका अता कर रहा हैं। आइए आज का दिन अदबी माहौल में, आपकी, पोस्ट की गई व्हिडिओ रचनाओं के साथ बिताते हैं और " सोशल डिस्टंसिंग " को मद्दे नजर रखते हुए नशिश्त का लुत्फ़ उठाते हैं। ''प्रयास''च्या मंचावर सादर झालेल्या रचना वाचकांसाठी जशाच्या तशा...

प्रसव पीडा
कशमकश में रात गुज़री
ज़मीन पर बिखरे 
कागज़ के टुकडे,
रातभर लगी पानी की झडी
ज़हन को सिंचती पानी की झडी
पौ फटे थक कर, छत से
बुंद बुंद टपकता पानी
एहसांसात से लथपथ
सिसकती सांसे
हर्फोंकी ऑंखमिचौली
धडकता दिल, रुंधता गला दूर दराज़ कोई दर्द
बाहर निकलने को 
तडपता हुआ
कर रहा है
पहले मिसरे का इंतज़ार

- विजया टेकसिंगानी

राधा की बातें 
राधा की बातें इस युग में
तुम पढ़कर बोलो क्या करोगे
न कान्हा जैसा मिलने वाला
न राधा जैसी सीरत कोई
जिस्मों तक है सीमित चाह सभी की
रूह की किसको चाह नही
सुबह शाम सा बदलता प्यार
व्योपार है बस
बोलो कहाँ हैं प्यार
कहते हो तुम कान्हा ढूंढ़ोगे
राधा की तलाश करोगे
रूह से रूह का प्यार
बस है अब तो
किस्से कहानियों की बात
लिखनेवाले लिखते हैं
लैला मजनू
रांझा हीर
कौन समझा है इस युग मे तुम बोलो
राधा कृष्णा का वो निश्छल प्यार
- निधि

आत्मप्रश्न
गुनगुनी सोंधी, इस मिट्टी
इस देह की खुशबू
आनंद उछालते
इस मन के तीखे-मीठे अहसास
बहुतेरी कल्पनाएं
इंद्रधनुषी, सतरंगी, खौफनाक भी
मनचीते भाव
गुजरते संकरे-चौड़े
मन रेगिस्तान में
गहन गूढ़ विचार, अनुभव सागर
सुरंगे करता पार
आत्मलीन मानव
सृष्टि पिरामिड पर खड़ा हुआ
काल-गर्भ में समय
नेकी-बदी, मरण
मधुमास भरा हुआ,
आज चैतन्य मय है
स्पष्ट अक्सर चिलचिलाती धूप में
भविष्य धुंधला
हम क्या करें
उत्तर खोजें या फिर बस
सुचिंतन, सत्कर्म
सत्पथ के यात्री बन जाएं।
- डॉ. कान्तिदेवी लोधी

आदत
ग़म छुपाने की है आदत को हटाऊँ कैसे 
आँख में नम जो शराफ़त है  छुपाऊँ  कैसे
ग़म छुपाने की है ...

तुने तौफा जो दिया फूल वो खंजर निकला 
दिल-ए-नादान मेरा तेरी अदाने कुचला
दर्द जो दिल में उठा है वो बताऊँ कैसे 
ग़म छुपाने की है ...

मसला नाजूक सा है कैसे बताएं सबको
जिल्लते मुझको मुबारक, और उजाले तुमको
रिश्ता बदनाम ना हो शोर मचाऊँ कैसे 
ग़म छुपाने की है ...

तुने ही नाम दिया प्यारासा इस रिश्तेको
जिंदा रख पाया नहीं मैं ही मेरी हस्तीको
रिस्ता कडवा जो हुआ उसको निभाऊँ कैसे
ग़म छुपाने की है ...
- अशोक भांबुरे 

कोरोना
ये छुवा छूत की बीमारी है इस की चैन को तोड़ो तुम 
इस से उस से मिलना जुलना कुछ दिन यारों छोड़ो तुम 

डाक्टरोंने जो बतलाया उन बातों का ध्यान करो 
जो भी हैँ क़ानून नियम उन सब का तुम सम्मान करो

घरसे बाहर निकलोगे तो बीमारी ये फैलेगी 
एक जरासी लापरवाही जान तुम्हारी लेलेगी

घर मेँ रह कर करो इबादत घर मेँ पूजा पाठ करो 
रब की मर्ज़ी यही है अब तो घर मेँ रह कर ठाठ करो 

कोरोनाकी इस आफतसे या रब छुटकारा देदे 
हमसे जो तूने छीना वह इक इक पल प्यारा दे दे
- जिया बागपति

यार घर में रह
चारों दिशा करोना मेरे यार घर में रह
जायेगी जान तेरीही बेकार घर में रह

बाहर निकल के बन न तू आसान सा शिकार
कहते हैं सब तबीब भी सो बार घर में रह  

हथ्थे न चढ करोनाके तू याद इतना रख 
होगा परेशाँ तेरा ही घरबार घरमें रह

होगा करोना तुझसे जो औरों को जान ले 
तू आख़िरत में होगा ख़तावार घर में रह

है हुक्म सब इमामों का घर में नमाज़ पढ़ 
बाहर ज़िरार तू न बना यार घरमें रह

तदफीने रस्म होगी न तेरी जो यूँ मरा 
होगा न तेरा आख़री दीदार घरमें रह
- हिशामुद्दीन "शोला"

जरूरतें
जरूरतें कितनी कम हैं
जीने के लिए
दो वक्त की रोटी
एक छोटी सी छत
कुछ अहसास 
और थोड़ी सी खुशी
अब पता चला
यूँही भाग रहे थे सभी
न जाने किस तलाश में।।
- निधि

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Coronavirus : बेवजह घर से निकलने की जरुरत क्या है? लॉकडाऊनमध्ये करणार काय? पिंपरी - 'बेवजह घर से निकलने की ज़रुरत क्या है? मौत से आंख मिलाने की ज़रुरत क्या है?" असा संदेश उर्दू, हिंदी, मराठी, सिंधी साहित्यिकांनी रविवारी (ता. २९) दिला. निमित्त होते पुण्यातील ''प्रयास हिंदी, उर्दू, मराठी साहित्य अकादमीतर्फे सकाळी आठ ते सायंकाळी सहा या वेळेत आयोजित ऑनलाईन मैफिलीचे. बातम्या ऐकण्यासाठी डाऊनलोड करा ई-सकाळचे ऍप अकादमीने आवाहन केले होते की, ''आपको अपने फन को तराशा ने का मौका अता कर रहा हैं। आइए आज का दिन अदबी माहौल में, आपकी, पोस्ट की गई व्हिडिओ रचनाओं के साथ बिताते हैं और " सोशल डिस्टंसिंग " को मद्दे नजर रखते हुए नशिश्त का लुत्फ़ उठाते हैं। ''प्रयास''च्या मंचावर सादर झालेल्या रचना वाचकांसाठी जशाच्या तशा... प्रसव पीडा कशमकश में रात गुज़री ज़मीन पर बिखरे  कागज़ के टुकडे, रातभर लगी पानी की झडी ज़हन को सिंचती पानी की झडी पौ फटे थक कर, छत से बुंद बुंद टपकता पानी एहसांसात से लथपथ सिसकती सांसे हर्फोंकी ऑंखमिचौली धडकता दिल, रुंधता गला दूर दराज़ कोई दर्द बाहर निकलने को  तडपता हुआ कर रहा है पहले मिसरे का इंतज़ार - विजया टेकसिंगानी राधा की बातें  राधा की बातें इस युग में तुम पढ़कर बोलो क्या करोगे न कान्हा जैसा मिलने वाला न राधा जैसी सीरत कोई जिस्मों तक है सीमित चाह सभी की रूह की किसको चाह नही सुबह शाम सा बदलता प्यार व्योपार है बस बोलो कहाँ हैं प्यार कहते हो तुम कान्हा ढूंढ़ोगे राधा की तलाश करोगे रूह से रूह का प्यार बस है अब तो किस्से कहानियों की बात लिखनेवाले लिखते हैं लैला मजनू रांझा हीर कौन समझा है इस युग मे तुम बोलो राधा कृष्णा का वो निश्छल प्यार - निधि आत्मप्रश्न गुनगुनी सोंधी, इस मिट्टी इस देह की खुशबू आनंद उछालते इस मन के तीखे-मीठे अहसास बहुतेरी कल्पनाएं इंद्रधनुषी, सतरंगी, खौफनाक भी मनचीते भाव गुजरते संकरे-चौड़े मन रेगिस्तान में गहन गूढ़ विचार, अनुभव सागर सुरंगे करता पार आत्मलीन मानव सृष्टि पिरामिड पर खड़ा हुआ काल-गर्भ में समय नेकी-बदी, मरण मधुमास भरा हुआ, आज चैतन्य मय है स्पष्ट अक्सर चिलचिलाती धूप में भविष्य धुंधला हम क्या करें उत्तर खोजें या फिर बस सुचिंतन, सत्कर्म सत्पथ के यात्री बन जाएं। - डॉ. कान्तिदेवी लोधी आदत ग़म छुपाने की है आदत को हटाऊँ कैसे  आँख में नम जो शराफ़त है  छुपाऊँ  कैसे ग़म छुपाने की है ... तुने तौफा जो दिया फूल वो खंजर निकला  दिल-ए-नादान मेरा तेरी अदाने कुचला दर्द जो दिल में उठा है वो बताऊँ कैसे  ग़म छुपाने की है ... मसला नाजूक सा है कैसे बताएं सबको जिल्लते मुझको मुबारक, और उजाले तुमको रिश्ता बदनाम ना हो शोर मचाऊँ कैसे  ग़म छुपाने की है ... तुने ही नाम दिया प्यारासा इस रिश्तेको जिंदा रख पाया नहीं मैं ही मेरी हस्तीको रिस्ता कडवा जो हुआ उसको निभाऊँ कैसे ग़म छुपाने की है ... - अशोक भांबुरे  कोरोना ये छुवा छूत की बीमारी है इस की चैन को तोड़ो तुम  इस से उस से मिलना जुलना कुछ दिन यारों छोड़ो तुम  डाक्टरोंने जो बतलाया उन बातों का ध्यान करो  जो भी हैँ क़ानून नियम उन सब का तुम सम्मान करो घरसे बाहर निकलोगे तो बीमारी ये फैलेगी  एक जरासी लापरवाही जान तुम्हारी लेलेगी घर मेँ रह कर करो इबादत घर मेँ पूजा पाठ करो  रब की मर्ज़ी यही है अब तो घर मेँ रह कर ठाठ करो  कोरोनाकी इस आफतसे या रब छुटकारा देदे  हमसे जो तूने छीना वह इक इक पल प्यारा दे दे - जिया बागपति यार घर में रह चारों दिशा करोना मेरे यार घर में रह जायेगी जान तेरीही बेकार घर में रह बाहर निकल के बन न तू आसान सा शिकार कहते हैं सब तबीब भी सो बार घर में रह   हथ्थे न चढ करोनाके तू याद इतना रख  होगा परेशाँ तेरा ही घरबार घरमें रह होगा करोना तुझसे जो औरों को जान ले  तू आख़िरत में होगा ख़तावार घर में रह है हुक्म सब इमामों का घर में नमाज़ पढ़  बाहर ज़िरार तू न बना यार घरमें रह तदफीने रस्म होगी न तेरी जो यूँ मरा  होगा न तेरा आख़री दीदार घरमें रह - हिशामुद्दीन "शोला" जरूरतें जरूरतें कितनी कम हैं जीने के लिए दो वक्त की रोटी एक छोटी सी छत कुछ अहसास  और थोड़ी सी खुशी अब पता चला यूँही भाग रहे थे सभी न जाने किस तलाश में।। - निधि News Story Feeds https://ift.tt/eA8V8J

March 30, 2020 0 Comments
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Sunday, March 29, 2020

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जाणून घ्या आजचे भविष्य आणि पंचांग : 30 मार्च

दिनांक : 30 मार्च 2020 : वार : सोमवार 
आजचे दिनमान 
मेष : व्यवसायातील आर्थिक कामे पूर्ण होतील. उधारी, उसनवारी वसूल होईल. प्रियजनासाठी वेळ देवू शकाल. अपेक्षित पत्र व्यवहार होईल. काहींना गुप्त वार्ता समजतील. 

वृषभ : तुमचा इतरांवर प्रभाव राहणार आहे. तुम्ही आपली मते इतरांना पटवून देवू शकाल. शासकीय कामे मार्गी लागतील. वरिष्ठांचे सहकार्य लाभेल. आरोग्य उत्तम राहील. 

मिथुन : प्रवास शक्‍यतो टाळावेत. दैनंदिन कामात अडचणी संभवतात. अतिरिक्त कामाचा ताण राहील. तुमचे मन नाराज राहील. महत्त्वाची कामे नकोत. वाहने सावकाश चालवावीत. 

कर्क : प्रियजनांसाठी वेळ देवू शकाल. नोकरी, व्यवसायात उत्तम स्थिती राहील. आर्थिक लाभाचे प्रमाण वाढेल. प्रवास सुखकर होतील. नवीन परिचय होतील. 

सिंह : नोकरी, व्यवसायात उत्तम स्थिती राहील. मानसन्मानाचे योग येतील. सार्वजनिक क्षेत्रात तुमचा प्रभाव राहील. प्रवासास दिवस अनुकूल आहे. कामे मार्गी लागतील. 

कन्या : एखादी भाग्यकारक घटना घडेल. तुमचे कार्यक्षेत्र वाढेल. चिकाटी वाढेल. मनोबल व आत्मविश्‍वास वाढविणारी एखादी घटना घडेल. काहींना अनपेक्षित प्रवास संभवतो. 

तुळ : आरोग्याच्या तक्रारी जाणवतील. वादविवाद टाळावेत. प्रवासात अडचणी संभवतात. मनोबल कमी राहणार आहे. महत्त्वाची कामे आज नकोत. आर्थिक सुयश लाभेल. 

वृश्‍चिक : जोडीदाराचे सहकार्य लाभेल. भागीदारी फायदा होईल. तुम्ही आपली मते इतरांना पटवून देवू शकाल. प्रवास सुखकर होतील. दैनंदिन कामात सुयश लाभेल. 

धनु : अस्वस्थता राहील. खर्चाचे प्रमाण वाढणार आहे. काहींचा मनोरंजनाकडे कल राहील. चिडचिड होईल. आरोग्याकडे लक्ष देण्याची गरज आहे. प्रवासाचे नियोजन नको. 

मकर : आर्थिक लाभ होतील. महत्त्वाच्या गाठीभेटी घेण्यास आजचा दिवस अनुकूल आहे. अनेकांचे सहकार्य लाभेल. काहींना अनपेक्षित धनलाभ संभवतो. विविध लाभ होतील. 

कुंभ : प्रॉपर्टीची व गुंतवणुकीची कामे होतील. तुमचा प्रभाव राहील. मानसन्मानाचे योग येतील. सार्वजनिक कार्यात उत्साहाने कार्यरत रहाल. महत्त्वाच्या कामांचे नियोजन करू शकाल. 

मीन : मानसिक प्रसन्नता लाभेल. नवी दिशा सापडेल. तुमच्या कार्यक्षेत्रात तुम्हाला अपेक्षित असलेली सुसंधी लाभेल. प्रसिद्धीचे योग येतील. आरोग्याच्या तक्रारी कमी होतील.

आजचे पंचांग
सोमवार : चैत्र शुद्ध 6, चंद्रनक्षत्र रोहिणी, चंद्रराशी वृषभ, सूर्योदय 6.32, सूर्यास्त 6.48, चंद्रोदय सकाळी 10.21, चंद्रास्त रात्री 11.56, भारतीय सौर चैत्र 10, शके 1942

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जाणून घ्या आजचे भविष्य आणि पंचांग : 30 मार्च दिनांक : 30 मार्च 2020 : वार : सोमवार  आजचे दिनमान  मेष : व्यवसायातील आर्थिक कामे पूर्ण होतील. उधारी, उसनवारी वसूल होईल. प्रियजनासाठी वेळ देवू शकाल. अपेक्षित पत्र व्यवहार होईल. काहींना गुप्त वार्ता समजतील.  वृषभ : तुमचा इतरांवर प्रभाव राहणार आहे. तुम्ही आपली मते इतरांना पटवून देवू शकाल. शासकीय कामे मार्गी लागतील. वरिष्ठांचे सहकार्य लाभेल. आरोग्य उत्तम राहील.  मिथुन : प्रवास शक्‍यतो टाळावेत. दैनंदिन कामात अडचणी संभवतात. अतिरिक्त कामाचा ताण राहील. तुमचे मन नाराज राहील. महत्त्वाची कामे नकोत. वाहने सावकाश चालवावीत.  कर्क : प्रियजनांसाठी वेळ देवू शकाल. नोकरी, व्यवसायात उत्तम स्थिती राहील. आर्थिक लाभाचे प्रमाण वाढेल. प्रवास सुखकर होतील. नवीन परिचय होतील.  सिंह : नोकरी, व्यवसायात उत्तम स्थिती राहील. मानसन्मानाचे योग येतील. सार्वजनिक क्षेत्रात तुमचा प्रभाव राहील. प्रवासास दिवस अनुकूल आहे. कामे मार्गी लागतील.  कन्या : एखादी भाग्यकारक घटना घडेल. तुमचे कार्यक्षेत्र वाढेल. चिकाटी वाढेल. मनोबल व आत्मविश्‍वास वाढविणारी एखादी घटना घडेल. काहींना अनपेक्षित प्रवास संभवतो.  तुळ : आरोग्याच्या तक्रारी जाणवतील. वादविवाद टाळावेत. प्रवासात अडचणी संभवतात. मनोबल कमी राहणार आहे. महत्त्वाची कामे आज नकोत. आर्थिक सुयश लाभेल.  वृश्‍चिक : जोडीदाराचे सहकार्य लाभेल. भागीदारी फायदा होईल. तुम्ही आपली मते इतरांना पटवून देवू शकाल. प्रवास सुखकर होतील. दैनंदिन कामात सुयश लाभेल.  धनु : अस्वस्थता राहील. खर्चाचे प्रमाण वाढणार आहे. काहींचा मनोरंजनाकडे कल राहील. चिडचिड होईल. आरोग्याकडे लक्ष देण्याची गरज आहे. प्रवासाचे नियोजन नको.  मकर : आर्थिक लाभ होतील. महत्त्वाच्या गाठीभेटी घेण्यास आजचा दिवस अनुकूल आहे. अनेकांचे सहकार्य लाभेल. काहींना अनपेक्षित धनलाभ संभवतो. विविध लाभ होतील.  कुंभ : प्रॉपर्टीची व गुंतवणुकीची कामे होतील. तुमचा प्रभाव राहील. मानसन्मानाचे योग येतील. सार्वजनिक कार्यात उत्साहाने कार्यरत रहाल. महत्त्वाच्या कामांचे नियोजन करू शकाल.  मीन : मानसिक प्रसन्नता लाभेल. नवी दिशा सापडेल. तुमच्या कार्यक्षेत्रात तुम्हाला अपेक्षित असलेली सुसंधी लाभेल. प्रसिद्धीचे योग येतील. आरोग्याच्या तक्रारी कमी होतील. आजचे पंचांग सोमवार : चैत्र शुद्ध 6, चंद्रनक्षत्र रोहिणी, चंद्रराशी वृषभ, सूर्योदय 6.32, सूर्यास्त 6.48, चंद्रोदय सकाळी 10.21, चंद्रास्त रात्री 11.56, भारतीय सौर चैत्र 10, शके 1942 News Story Feeds https://ift.tt/eA8V8J

March 29, 2020 0 Comments
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CoronaVirus : खबरदार विनाकारण फिराल तर... आता दंडुक्यासह गुन्हेही 

औरंगाबाद, : कोरोनाच्या पार्श्‍वभूमीवर संपूर्ण देश लॉकडाऊन करण्यात आलेला आहे. संचारबंदी जाहीर करण्यात आलेली आहे. असे असतानाही विविध कारणे सांगत विनाकारण रस्त्यावर फिरणाऱ्या जवळपास पन्नास नागरिकांच्या विरोधात शहरातील विविध पोलिस ठाण्यांत गुन्हे दाखल करण्यात आले आहेत. 

कोरोनाच्या पार्श्वभूमीवर घराच्या बाहेर पडू नये, आवश्यक असल्यास किंवा आपत्कालीन परिस्थितीत गरज असेल तरच बाहेर पडावे. जीवनाश्यक सर्व वस्तूंची दुकाने सुरू आहेत. 

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फिरणाऱ्यांची संख्या वाढली 

त्यामुळे गर्दी न करता खरेच गरज असेल तरच बाहर पडावे असे सांगण्यात येत असल्याने संधीचा फायदा घेत काहीजण विविध कारणे दाखवत विनाकारण बाहेर फिरत आहेत. रस्त्यांवर फिरणाऱ्यांची संख्या वाढली आहे. दिवसभर घरांमध्ये बसून कंटाळा आलेले नागरिक विनाकारण रस्त्यावर येत आहेत. त्यासाठी खोटे बहाणे सांगत आहेत. 

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पन्नास जणांच्या विरोधात गुन्‍हे

अशा विनाकारण फिरणाऱ्यांना विचारपूस केल्यानंतर कारण खोटे आहे, असे लक्षात येताच पोलिस चांगलाच प्रसाद देत आहेत. आता मात्र नागरिकांना फटके देण्याबरोबरच त्यांच्याविरोधात गुन्हे दाखल करण्याची प्रक्रिया पोलिसांनी सुरू केली आहे. शहरातील क्रांती चौक, मुकुंदवाडी, सिडको, उस्मानपुरा, एमआयडीसी वाळूज, वाळूज अशा जवळपास सर्वच पोलिस ठाण्यांच्या हद्दीत विनाकारण बाहेर फिरणाऱ्या नागरिकांच्या विरोधात गुन्हे दाखल करण्यात येत आहेत. शनिवारी (ता.२८) शहरातील विविध पोलिस ठाण्यांत जवळपास ५० विनाकारण फिरणाऱ्या नागरिकांच्या विरोधात गुन्हे दाखल करण्यात आले आहेत. 

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तेरा दुकानदार, दोन रिक्षाचालकांवर गुन्हे 

संचारबंदीच्या या काळात जिवनावश्यक वस्तू खरेदीसाठी मात्र सूट दिलेली आहे. जीवनावश्यक वस्तूंचे दुकाननेही उघडे ठेवण्यास परवानगी देण्यात आलेली आहे. मात्र काही असताना किराणा दुकान किंवा दूध डेरी अशा दुकानांमधून जीवनावश्यक वस्तूंसह विविध वस्तूंची विक्री करण्यात येत असल्याचे निदर्शनास आल्याने पोलिसांनी गुन्हे दाखल केले आहेत. छावणी येथे उमंग एम्पोरियम दुकान संचारबंदीच्या काळात उघडे ठेवल्याने गुन्हा दाखल करण्यात आला. त्याच प्रमाणे छावणीत राणी नॉव्हेल्टी, माणसी स्टेशनरी स्टोअर्स आणि गिफ्ट शॉप अशा तीन दुकानदारांच्या विरोधात गुन्हे दाखल केले आहेत. याशिवाय मिटमिटा येथील नवनाथ मुळे यांच्या दूध डेअरी वरही पोलिसांनी गुन्हा दाखल केला आहे. सिडको पोलीस ठाण्याच्या हद्दीत जाधववाडी येथील दत्तकृपा ट्रेडर्स या दुकानाच्या विरोधात गुन्हा दाखल करण्यात आला.एकुण तेरा दुकानदारांच्या विरोधात गुन्हे दाखल करण्यात आले आहे.

 

 

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CoronaVirus : खबरदार विनाकारण फिराल तर... आता दंडुक्यासह गुन्हेही  औरंगाबाद, : कोरोनाच्या पार्श्‍वभूमीवर संपूर्ण देश लॉकडाऊन करण्यात आलेला आहे. संचारबंदी जाहीर करण्यात आलेली आहे. असे असतानाही विविध कारणे सांगत विनाकारण रस्त्यावर फिरणाऱ्या जवळपास पन्नास नागरिकांच्या विरोधात शहरातील विविध पोलिस ठाण्यांत गुन्हे दाखल करण्यात आले आहेत.  कोरोनाच्या पार्श्वभूमीवर घराच्या बाहेर पडू नये, आवश्यक असल्यास किंवा आपत्कालीन परिस्थितीत गरज असेल तरच बाहेर पडावे. जीवनाश्यक सर्व वस्तूंची दुकाने सुरू आहेत.  औरंगाबादच्या इतर बातम्या वाचण्यासाठी - क्लिक करा फिरणाऱ्यांची संख्या वाढली  त्यामुळे गर्दी न करता खरेच गरज असेल तरच बाहर पडावे असे सांगण्यात येत असल्याने संधीचा फायदा घेत काहीजण विविध कारणे दाखवत विनाकारण बाहेर फिरत आहेत. रस्त्यांवर फिरणाऱ्यांची संख्या वाढली आहे. दिवसभर घरांमध्ये बसून कंटाळा आलेले नागरिक विनाकारण रस्त्यावर येत आहेत. त्यासाठी खोटे बहाणे सांगत आहेत.  मराठवाड्याच्या इतर बातम्या वाचण्यासाठी - क्लिक करा पन्नास जणांच्या विरोधात गुन्‍हे अशा विनाकारण फिरणाऱ्यांना विचारपूस केल्यानंतर कारण खोटे आहे, असे लक्षात येताच पोलिस चांगलाच प्रसाद देत आहेत. आता मात्र नागरिकांना फटके देण्याबरोबरच त्यांच्याविरोधात गुन्हे दाखल करण्याची प्रक्रिया पोलिसांनी सुरू केली आहे. शहरातील क्रांती चौक, मुकुंदवाडी, सिडको, उस्मानपुरा, एमआयडीसी वाळूज, वाळूज अशा जवळपास सर्वच पोलिस ठाण्यांच्या हद्दीत विनाकारण बाहेर फिरणाऱ्या नागरिकांच्या विरोधात गुन्हे दाखल करण्यात येत आहेत. शनिवारी (ता.२८) शहरातील विविध पोलिस ठाण्यांत जवळपास ५० विनाकारण फिरणाऱ्या नागरिकांच्या विरोधात गुन्हे दाखल करण्यात आले आहेत.   महाराष्ट्रातील इतर बातम्या बाचण्यासाठी - क्लिक करा तेरा दुकानदार, दोन रिक्षाचालकांवर गुन्हे  संचारबंदीच्या या काळात जिवनावश्यक वस्तू खरेदीसाठी मात्र सूट दिलेली आहे. जीवनावश्यक वस्तूंचे दुकाननेही उघडे ठेवण्यास परवानगी देण्यात आलेली आहे. मात्र काही असताना किराणा दुकान किंवा दूध डेरी अशा दुकानांमधून जीवनावश्यक वस्तूंसह विविध वस्तूंची विक्री करण्यात येत असल्याचे निदर्शनास आल्याने पोलिसांनी गुन्हे दाखल केले आहेत. छावणी येथे उमंग एम्पोरियम दुकान संचारबंदीच्या काळात उघडे ठेवल्याने गुन्हा दाखल करण्यात आला. त्याच प्रमाणे छावणीत राणी नॉव्हेल्टी, माणसी स्टेशनरी स्टोअर्स आणि गिफ्ट शॉप अशा तीन दुकानदारांच्या विरोधात गुन्हे दाखल केले आहेत. याशिवाय मिटमिटा येथील नवनाथ मुळे यांच्या दूध डेअरी वरही पोलिसांनी गुन्हा दाखल केला आहे. सिडको पोलीस ठाण्याच्या हद्दीत जाधववाडी येथील दत्तकृपा ट्रेडर्स या दुकानाच्या विरोधात गुन्हा दाखल करण्यात आला.एकुण तेरा दुकानदारांच्या विरोधात गुन्हे दाखल करण्यात आले आहे.     News Story Feeds https://ift.tt/eA8V8J

March 29, 2020 0 Comments
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...म्हणून सिंधुदुर्गातील खवय्यांवर आली चिकन चिकन म्हणण्याची वेळ

सावंतवाडी (सिंधुदुर्ग) -  कोरोनाच्या पार्श्‍वभूमीवर अफवांमुळे उद्ध्‌वस्त झालेला ब्रॉयलर कोंबडी विक्रीचा पोल्ट्री व्यवसाय सावरण्याच्या स्थितीत आहे. ब्रॉयलरला सध्या मागणी वाढली आहे; मात्र असलेला मालाची वाहतुक करणे कठीण बनल्याने चिकनचा तुटवडा सध्या सर्वत्र जाणवत आहे. आधीच आर्थिक संकटात सापडलेल्या पोल्ट्री व्यावसाईकांना प्रशासनाने संचारबंदीत वाहतुक परवानगी द्यावी अशी मागणी होत आहे. 

कोरोना या विषाणुबाबत सोशल मिडीयावरुन अनेक अफवा उठवल्या गेल्या. यात नुकसान अनेकांना झाले. चीनमध्ये या विषाणुने थैमान घालण्यास सुरवात केली होती त्यावेळी सोशल मिडीयावर अफवाचा महापुर होता. याचा फटका मासे आणि ब्रॉयलर विक्रीला झाला. लोकांनी ब्रॉयलर पाठ फिरवली आणि हे व्यावसाईक रस्त्यावर आले. कोणी चिकनला विचारत नसल्याने अक्षरक्षः पोल्ट्रीमध्ये असलेल्या कोंबड्यांना खाद्य देणेच सोडून दिले. काहिंनी कवडीमोल किंमतीने विक्री केली.

एकुणच या परिस्थितीत जिल्ह्यातील पोल्ट्री व्यवसाईक आर्थिक ओझ्याखाली दाबला गेला. अनेकांनी कर्ज घेऊन व्यवसाय उभे केले होते. ते आज कर्जाच्या खाईत ढकलले गेले; मात्र आज स्थिती वेगळी आहे. कोरोना हा आजार ब्रॉयलरमुळे होत नसल्याचा दाखला आरोग्य विभाग तसेच डॉक्‍टरकडून देण्यात आला होता. शिवाय कोरोना या आजाराशी मुकाबला करण्यासाठी अंगात प्रतिकारशक्‍ती वाढविण्यासाठी मांस आवश्‍यक असल्याचे डॉक्‍टराकडून सांगण्यात आल्यामुळे हळूहळू ब्रॉयलर चिकनला मागणी वाढत आहे. 

सिंधुदुर्ग जिल्ह्याचा विचार करता मागच्या पंधरा दिवसापर्यंत ब्रॉयलर चिकनकडे लोकांनी पाठ फिरवली होती. त्यामुळे बकरा मटन विक्रीला मोठी मागणी आली होती; मात्र आज स्थिती वेगळी आहे. शहरी भागापेक्षा ग्रामीण भागात ब्रॉयलरला मोठी मागणी वाढली आहे; मात्र अनेकांच्या पोल्ट्री रिकामी असल्याने ब्रॉयलर चिकनच तुटवडा निर्माण झाला आहे. शहरात ब्रॉयलर चिकन मार्केट संचारबंदीच्या काळात बंद असल्याने ग्रामीण भागातील पोल्ट्री व्यवसाईकाकडे शहरातील नागरिकांनी धाव घेत खरेदी सुरू केली. त्यामुळे काही व्यावसाईकांकडे शिल्लक असलेली कोंबडी संपल्याने आता "चिकन, चिकन' म्हणण्याची वेळ खवय्यांवर आली आहे. संचार बंदी असल्याने सर्वच दळणवळण बंद आहे, काहींनी आर्थिक संकटातही आपल्या पोल्ट्री सुरु ठेवल्या आहेत आज त्याच्याकडे ब्रॉयलर कोंबडी उपलब्ध आहेत; मात्र ती विक्रेत्यांपर्यंत पोहचविण्यासाठी त्यांना वाहतुक परवानगी नाही. संचारबदीत वाहतुकीवरही निर्बंध असल्याने त्यांना असलेली कोंबडी बाहेर काढण्यास प्रशासनाकडून परवानगी मिळाल्यास ही कोंबडी विक्री करण्यास त्यांना मदत मिळणार आहे. आज अनेकजण घरातच अडकून आहेत. मासेसुद्धा मिळत नसल्याने ब्रॉयलरला मागणी वाढली तरी उत्पादनच नसल्याने सर्वत्र तुटवडा भासत आहे.

पंचवीस, पन्नास, ऐंशी रुपयावर आलेले चिकन एकदम दोन दिवसात एकशे वीस रुपयावर आले आहे; मात्र वाहतुक ठप्प असल्याने घाटमाथ्यावरुनही कोंबडी येणे अशक्‍य झाले आहे. 
ग्रामीण भागाचा विचार करता अनेकांनी गावठी, सुरती कोंबड्याच्या पोल्ट्री उघडल्या होत्या. या पोल्ट्री व्यावसायिकांना चांगला भाव आला असुन अनेकांनी पर्याय म्हणुन या कोंबड्याचे चिकन खाणे पसंत केले आहे. कोंबड्याना मागणी आहे; मात्र वाहतुक ठप्प असल्याने खाद्य मिळणे कठीण बनले आहे. 

कोंबड्या आहेत; मात्र त्या विक्रेत्यांपर्यत पोहचविणे किंवा आमच्यापर्यंत येऊन त्या घेऊन जाणे संचारबंदीमुळे कठीण बनले आहे. असलेल्या कोंबडीना खाद्यही मिळत नाही. शिल्लक खाद्य पुरवून वापरले जात आहे. त्यामुळे कोंबडीचे वजन घटत आहे. आज पोल्ट्री व्यवसाय वाहतुकीला परवानगी दिल्यास संकटात सापडलेल्या व्यवसाय सावरेल. 
- सुरेश शिर्के, शिरशिंगे, पोल्ट्री व्यावसाईक 

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...म्हणून सिंधुदुर्गातील खवय्यांवर आली चिकन चिकन म्हणण्याची वेळ सावंतवाडी (सिंधुदुर्ग) -  कोरोनाच्या पार्श्‍वभूमीवर अफवांमुळे उद्ध्‌वस्त झालेला ब्रॉयलर कोंबडी विक्रीचा पोल्ट्री व्यवसाय सावरण्याच्या स्थितीत आहे. ब्रॉयलरला सध्या मागणी वाढली आहे; मात्र असलेला मालाची वाहतुक करणे कठीण बनल्याने चिकनचा तुटवडा सध्या सर्वत्र जाणवत आहे. आधीच आर्थिक संकटात सापडलेल्या पोल्ट्री व्यावसाईकांना प्रशासनाने संचारबंदीत वाहतुक परवानगी द्यावी अशी मागणी होत आहे.  कोरोना या विषाणुबाबत सोशल मिडीयावरुन अनेक अफवा उठवल्या गेल्या. यात नुकसान अनेकांना झाले. चीनमध्ये या विषाणुने थैमान घालण्यास सुरवात केली होती त्यावेळी सोशल मिडीयावर अफवाचा महापुर होता. याचा फटका मासे आणि ब्रॉयलर विक्रीला झाला. लोकांनी ब्रॉयलर पाठ फिरवली आणि हे व्यावसाईक रस्त्यावर आले. कोणी चिकनला विचारत नसल्याने अक्षरक्षः पोल्ट्रीमध्ये असलेल्या कोंबड्यांना खाद्य देणेच सोडून दिले. काहिंनी कवडीमोल किंमतीने विक्री केली. एकुणच या परिस्थितीत जिल्ह्यातील पोल्ट्री व्यवसाईक आर्थिक ओझ्याखाली दाबला गेला. अनेकांनी कर्ज घेऊन व्यवसाय उभे केले होते. ते आज कर्जाच्या खाईत ढकलले गेले; मात्र आज स्थिती वेगळी आहे. कोरोना हा आजार ब्रॉयलरमुळे होत नसल्याचा दाखला आरोग्य विभाग तसेच डॉक्‍टरकडून देण्यात आला होता. शिवाय कोरोना या आजाराशी मुकाबला करण्यासाठी अंगात प्रतिकारशक्‍ती वाढविण्यासाठी मांस आवश्‍यक असल्याचे डॉक्‍टराकडून सांगण्यात आल्यामुळे हळूहळू ब्रॉयलर चिकनला मागणी वाढत आहे.  सिंधुदुर्ग जिल्ह्याचा विचार करता मागच्या पंधरा दिवसापर्यंत ब्रॉयलर चिकनकडे लोकांनी पाठ फिरवली होती. त्यामुळे बकरा मटन विक्रीला मोठी मागणी आली होती; मात्र आज स्थिती वेगळी आहे. शहरी भागापेक्षा ग्रामीण भागात ब्रॉयलरला मोठी मागणी वाढली आहे; मात्र अनेकांच्या पोल्ट्री रिकामी असल्याने ब्रॉयलर चिकनच तुटवडा निर्माण झाला आहे. शहरात ब्रॉयलर चिकन मार्केट संचारबंदीच्या काळात बंद असल्याने ग्रामीण भागातील पोल्ट्री व्यवसाईकाकडे शहरातील नागरिकांनी धाव घेत खरेदी सुरू केली. त्यामुळे काही व्यावसाईकांकडे शिल्लक असलेली कोंबडी संपल्याने आता "चिकन, चिकन' म्हणण्याची वेळ खवय्यांवर आली आहे. संचार बंदी असल्याने सर्वच दळणवळण बंद आहे, काहींनी आर्थिक संकटातही आपल्या पोल्ट्री सुरु ठेवल्या आहेत आज त्याच्याकडे ब्रॉयलर कोंबडी उपलब्ध आहेत; मात्र ती विक्रेत्यांपर्यंत पोहचविण्यासाठी त्यांना वाहतुक परवानगी नाही. संचारबदीत वाहतुकीवरही निर्बंध असल्याने त्यांना असलेली कोंबडी बाहेर काढण्यास प्रशासनाकडून परवानगी मिळाल्यास ही कोंबडी विक्री करण्यास त्यांना मदत मिळणार आहे. आज अनेकजण घरातच अडकून आहेत. मासेसुद्धा मिळत नसल्याने ब्रॉयलरला मागणी वाढली तरी उत्पादनच नसल्याने सर्वत्र तुटवडा भासत आहे. पंचवीस, पन्नास, ऐंशी रुपयावर आलेले चिकन एकदम दोन दिवसात एकशे वीस रुपयावर आले आहे; मात्र वाहतुक ठप्प असल्याने घाटमाथ्यावरुनही कोंबडी येणे अशक्‍य झाले आहे.  ग्रामीण भागाचा विचार करता अनेकांनी गावठी, सुरती कोंबड्याच्या पोल्ट्री उघडल्या होत्या. या पोल्ट्री व्यावसायिकांना चांगला भाव आला असुन अनेकांनी पर्याय म्हणुन या कोंबड्याचे चिकन खाणे पसंत केले आहे. कोंबड्याना मागणी आहे; मात्र वाहतुक ठप्प असल्याने खाद्य मिळणे कठीण बनले आहे.  कोंबड्या आहेत; मात्र त्या विक्रेत्यांपर्यत पोहचविणे किंवा आमच्यापर्यंत येऊन त्या घेऊन जाणे संचारबंदीमुळे कठीण बनले आहे. असलेल्या कोंबडीना खाद्यही मिळत नाही. शिल्लक खाद्य पुरवून वापरले जात आहे. त्यामुळे कोंबडीचे वजन घटत आहे. आज पोल्ट्री व्यवसाय वाहतुकीला परवानगी दिल्यास संकटात सापडलेल्या व्यवसाय सावरेल.  - सुरेश शिर्के, शिरशिंगे, पोल्ट्री व्यावसाईक  News Story Feeds https://ift.tt/eA8V8J

March 29, 2020 0 Comments
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कामगारांना मिळणार लवकरच दिलासा; कोण म्हणाले वाचा 

सोलापूर : देशभरात 122 क्षेत्रांत असंघटित कामगार आहेत. "कोरोना'शी मुकाबला करण्यासाठी जाहीर केलेल्या लॉकडाउनने असंघटित व स्थलांतरित कामगारांपुढे मोठे संकट उभे राहिले आहे. त्यांच्या अडचणी दूर करण्यासाठी राज्य सरकारने सचिवांसह मंत्र्यांची सुकाणू समिती स्थापन केली आहे. कामगारांना दिलासा देण्यासाठी ही समिती लवकरच निर्णय जाहीर करेल, अशी माहिती सोलापूरचे पालकमंत्री तथा राज्याचे कामगारमंत्री दिलीप वळसे- पाटील यांनी "सकाळ'शी बोलताना दिली. लॉकडाउनच्या काळात ते सोलापूरच्या विविध घडामोडींवर लक्ष ठेवून आहेत. ते नियमित जिल्हाधिकारी मिलिंद शंभरकर यांच्याकडून माहिती घेत त्यांना सूचना देत आहेत. त्यांच्याशी दूरध्वनीवर झालेली ही बातचीत... 

प्रश्‍न ः कोरोना प्रतिबंधासाठी जिल्हा प्रशासनाला आपण कोणत्या सूचना दिल्या आहेत? 
पालकमंत्री ः जिल्हा प्रशासनाबरोबर माझी रोज सकाळी चर्चा होते. कोरोना व्हायरसला नियंत्रणासंदर्भात ज्या गोष्टी करणे आवश्‍यक आहे, त्या उपाययोजना जिल्हा प्रशासन करीत आहे. त्यात प्रामुख्याने या रोगावर नियंत्रण मिळविण्यासाठी लोकांना एकत्र येऊ न देणे, जमाव जमू न देणे हा पहिला प्राधान्यक्रम आहे. त्या संदर्भात पंतप्रधानांनी संचारबंदी जाहीर केली आहे. मुख्यमंत्र्यांनीही आवाहन केले आहे. तरीही अत्यावश्‍यक सेवांच्या दिलेल्या सवलतींचा उपयोग लोक गांभीर्याने करीत नाहीत, असे दिसते. त्याबाबत प्रशासनाने सजग राहावे, असे मी सांगतो. 

प्रश्‍न ः परजिल्ह्यातून आणि परराज्यातून लोक येऊ नयेत म्हणून कोणते उपाय केले आहेत? 
पालकमंत्री ः संचारबंदीची शहरापासून गावापर्यंत काटेकोर अंमलबजावणी व्हावी, यासाठी पोलिसांना सूचना दिल्या आहेत. पोलिस आयुक्त अंकुश शिंदे आणि जिल्हा पोलिस अधीक्षक मनोज पाटील या दृष्टीने काम करीत आहेत. सार्वजनिक वितरण प्रणाली खंडित होता कामा नये, यासाठी पुरवठा विभाग काम करीत आहे. जिल्हाधिकारी मिलिंद शंभरकर यांच्याशी सतत संपर्क आहे. त्यांनी बैठका घेऊन काही आदेश काढले आहेत. जिल्ह्यात आपण नाकाबंदी केली आहे. आंतरराज्य नाकाबंदीही केली आहे. बाहेरून लोकांचे येण्याचे प्रमाण वाढले आहे. त्यात राज्यातील विविध शहरांबरोबर शेजारच्या कर्नाटक, तमिळनाडूतून लोक सोलापूर जिल्ह्यात येत आहेत. त्यांना रोखण्यासाठी प्रयत्न सुरू आहेत. 

प्रश्‍न ः अडचणीत आलेल्या असंघटित कामगारांना दिलासा कसा देता येईल? 
पालकमंत्री ः सोलापुरात विडी कामगार, टेक्‍स्टाईल्स आणि हॅन्डलूम वर्कर यांचा रोजगार बंद असल्याने उपजीविकेचे साधन हातातून गेले आहे. त्यांचे हातावर पोट असते. ही अडचण सगळ्याच ठिकाणी आहे. या संदर्भात राज्य सरकारकडे प्रस्ताव पाठविला असून आम्ही त्याचाच पाठपुरावा करीत आहेत. कामगारांना मदत करता आली पाहिजे, ही माझी भूमिका आहे. माजी आमदार आडम मास्तर आणि आमदार प्रणिती शिंदे यांच्याशी बोलणे झाले आहे. कामगारांना मदत केली जावी, असा आग्रह आहे. असंघटित कामगार 122 प्रकारांत आहेत. राज्य सरकारने सचिवांची आणि मंत्र्यांची सुकाणू समिती केली आहे. त्यांना निर्णय घ्यावा लागणार आहे. आता हे आर्थिक वर्ष संपत आहे. नवीन वर्षात याबाबत नक्की निर्णय होईल. 

प्रश्‍न ः सोलापूर शहर, जिल्ह्यातील वैद्यकीय सुविधा बळकट करण्यासाठी काय करावे लागेल? 
पालकमंत्री ः आपण डीपीडीसीमधून वैद्यकीय व्यवस्था तयार करण्यासाठी तीन कोटी 73 लाख उपलब्ध करून दिले आहेत. सिव्हिल हॉस्पिटलमध्ये सुविधा व्हाव्यात, यासाठी सिव्हिल सर्जन, मेडिकल कॉलेजचे डीन प्रयत्न करीत आहेत. त्याशिवाय शनिवारी राज्य सरकारने एक निर्णय घेतला आहे. आमदारांचा स्थानिक विकास निधी असतो. त्यातून 50 लाख रुपये प्रत्येक आमदाराला खर्च करता येईल. त्याबाबतची यादी दिलेली आहे. ग्रामीण रुग्णालय, प्राथमिक आरोग्य केंद्र, उपजिल्हा रुग्णालय आदींमध्ये असलेल्या त्रुटी दूर करण्यासाठी आमदार निधीतून खर्च करता येईल. त्याशिवाय राज्य सरकारचा निधी आहे. जिल्हाधिकारी महसूल आयुक्तांकडे गरजेनुसार प्रस्ताव देतात. त्यानुसार निधीचे वितरण होते. 

तिसऱ्या टप्प्यात नागरिकांची भूमिका महत्त्वाची 
आपण "कोरोना'च्या तिसऱ्या टप्प्यात प्रवेश करीत आहोत. पहिल्यांदा संसर्ग व्यक्तिगत संपर्कातून होतो. दुसरा टप्पा ज्याला झाला त्याच्या सहवासातून इतरांना होणे आणि तिसऱ्या टप्प्यात सामाजिक स्तरावर होणारा संसर्ग ही काळजीची गोष्ट असते. सामाजिक स्तरावर होणारा संसर्ग फैलावू नये, यासाठी आपण आता सगळ्या यंत्रणा कामाला लावल्या आहेत. नागरिकांनी याबाबत काळजी घेणे आवश्‍यक आहे. अत्यावश्‍यक सेवांसाठी दिलेल्या सवलतींच्या आधारे काही लोक बाहेर फिरतात. त्याचा मोठा तोटा होऊ शकतो. नागरिक घरात राहिले तरच प्रशासनावरचा ताण कमी होईल. आता प्रशासनाचा सगळा वेळ लोकांना आवरण्यात आणि प्रश्‍नांना उत्तरे दण्यात जात आहे. घरात राहून सगळ्यांनी प्रशासनाला सहकार्य केले पाहिजे, असे आवाहन पालकमंत्री दिलीप वळसे-पाटील यांनी केले.

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कामगारांना मिळणार लवकरच दिलासा; कोण म्हणाले वाचा  सोलापूर : देशभरात 122 क्षेत्रांत असंघटित कामगार आहेत. "कोरोना'शी मुकाबला करण्यासाठी जाहीर केलेल्या लॉकडाउनने असंघटित व स्थलांतरित कामगारांपुढे मोठे संकट उभे राहिले आहे. त्यांच्या अडचणी दूर करण्यासाठी राज्य सरकारने सचिवांसह मंत्र्यांची सुकाणू समिती स्थापन केली आहे. कामगारांना दिलासा देण्यासाठी ही समिती लवकरच निर्णय जाहीर करेल, अशी माहिती सोलापूरचे पालकमंत्री तथा राज्याचे कामगारमंत्री दिलीप वळसे- पाटील यांनी "सकाळ'शी बोलताना दिली. लॉकडाउनच्या काळात ते सोलापूरच्या विविध घडामोडींवर लक्ष ठेवून आहेत. ते नियमित जिल्हाधिकारी मिलिंद शंभरकर यांच्याकडून माहिती घेत त्यांना सूचना देत आहेत. त्यांच्याशी दूरध्वनीवर झालेली ही बातचीत...  प्रश्‍न ः कोरोना प्रतिबंधासाठी जिल्हा प्रशासनाला आपण कोणत्या सूचना दिल्या आहेत?  पालकमंत्री ः जिल्हा प्रशासनाबरोबर माझी रोज सकाळी चर्चा होते. कोरोना व्हायरसला नियंत्रणासंदर्भात ज्या गोष्टी करणे आवश्‍यक आहे, त्या उपाययोजना जिल्हा प्रशासन करीत आहे. त्यात प्रामुख्याने या रोगावर नियंत्रण मिळविण्यासाठी लोकांना एकत्र येऊ न देणे, जमाव जमू न देणे हा पहिला प्राधान्यक्रम आहे. त्या संदर्भात पंतप्रधानांनी संचारबंदी जाहीर केली आहे. मुख्यमंत्र्यांनीही आवाहन केले आहे. तरीही अत्यावश्‍यक सेवांच्या दिलेल्या सवलतींचा उपयोग लोक गांभीर्याने करीत नाहीत, असे दिसते. त्याबाबत प्रशासनाने सजग राहावे, असे मी सांगतो.  प्रश्‍न ः परजिल्ह्यातून आणि परराज्यातून लोक येऊ नयेत म्हणून कोणते उपाय केले आहेत?  पालकमंत्री ः संचारबंदीची शहरापासून गावापर्यंत काटेकोर अंमलबजावणी व्हावी, यासाठी पोलिसांना सूचना दिल्या आहेत. पोलिस आयुक्त अंकुश शिंदे आणि जिल्हा पोलिस अधीक्षक मनोज पाटील या दृष्टीने काम करीत आहेत. सार्वजनिक वितरण प्रणाली खंडित होता कामा नये, यासाठी पुरवठा विभाग काम करीत आहे. जिल्हाधिकारी मिलिंद शंभरकर यांच्याशी सतत संपर्क आहे. त्यांनी बैठका घेऊन काही आदेश काढले आहेत. जिल्ह्यात आपण नाकाबंदी केली आहे. आंतरराज्य नाकाबंदीही केली आहे. बाहेरून लोकांचे येण्याचे प्रमाण वाढले आहे. त्यात राज्यातील विविध शहरांबरोबर शेजारच्या कर्नाटक, तमिळनाडूतून लोक सोलापूर जिल्ह्यात येत आहेत. त्यांना रोखण्यासाठी प्रयत्न सुरू आहेत.  प्रश्‍न ः अडचणीत आलेल्या असंघटित कामगारांना दिलासा कसा देता येईल?  पालकमंत्री ः सोलापुरात विडी कामगार, टेक्‍स्टाईल्स आणि हॅन्डलूम वर्कर यांचा रोजगार बंद असल्याने उपजीविकेचे साधन हातातून गेले आहे. त्यांचे हातावर पोट असते. ही अडचण सगळ्याच ठिकाणी आहे. या संदर्भात राज्य सरकारकडे प्रस्ताव पाठविला असून आम्ही त्याचाच पाठपुरावा करीत आहेत. कामगारांना मदत करता आली पाहिजे, ही माझी भूमिका आहे. माजी आमदार आडम मास्तर आणि आमदार प्रणिती शिंदे यांच्याशी बोलणे झाले आहे. कामगारांना मदत केली जावी, असा आग्रह आहे. असंघटित कामगार 122 प्रकारांत आहेत. राज्य सरकारने सचिवांची आणि मंत्र्यांची सुकाणू समिती केली आहे. त्यांना निर्णय घ्यावा लागणार आहे. आता हे आर्थिक वर्ष संपत आहे. नवीन वर्षात याबाबत नक्की निर्णय होईल.  प्रश्‍न ः सोलापूर शहर, जिल्ह्यातील वैद्यकीय सुविधा बळकट करण्यासाठी काय करावे लागेल?  पालकमंत्री ः आपण डीपीडीसीमधून वैद्यकीय व्यवस्था तयार करण्यासाठी तीन कोटी 73 लाख उपलब्ध करून दिले आहेत. सिव्हिल हॉस्पिटलमध्ये सुविधा व्हाव्यात, यासाठी सिव्हिल सर्जन, मेडिकल कॉलेजचे डीन प्रयत्न करीत आहेत. त्याशिवाय शनिवारी राज्य सरकारने एक निर्णय घेतला आहे. आमदारांचा स्थानिक विकास निधी असतो. त्यातून 50 लाख रुपये प्रत्येक आमदाराला खर्च करता येईल. त्याबाबतची यादी दिलेली आहे. ग्रामीण रुग्णालय, प्राथमिक आरोग्य केंद्र, उपजिल्हा रुग्णालय आदींमध्ये असलेल्या त्रुटी दूर करण्यासाठी आमदार निधीतून खर्च करता येईल. त्याशिवाय राज्य सरकारचा निधी आहे. जिल्हाधिकारी महसूल आयुक्तांकडे गरजेनुसार प्रस्ताव देतात. त्यानुसार निधीचे वितरण होते.  तिसऱ्या टप्प्यात नागरिकांची भूमिका महत्त्वाची  आपण "कोरोना'च्या तिसऱ्या टप्प्यात प्रवेश करीत आहोत. पहिल्यांदा संसर्ग व्यक्तिगत संपर्कातून होतो. दुसरा टप्पा ज्याला झाला त्याच्या सहवासातून इतरांना होणे आणि तिसऱ्या टप्प्यात सामाजिक स्तरावर होणारा संसर्ग ही काळजीची गोष्ट असते. सामाजिक स्तरावर होणारा संसर्ग फैलावू नये, यासाठी आपण आता सगळ्या यंत्रणा कामाला लावल्या आहेत. नागरिकांनी याबाबत काळजी घेणे आवश्‍यक आहे. अत्यावश्‍यक सेवांसाठी दिलेल्या सवलतींच्या आधारे काही लोक बाहेर फिरतात. त्याचा मोठा तोटा होऊ शकतो. नागरिक घरात राहिले तरच प्रशासनावरचा ताण कमी होईल. आता प्रशासनाचा सगळा वेळ लोकांना आवरण्यात आणि प्रश्‍नांना उत्तरे दण्यात जात आहे. घरात राहून सगळ्यांनी प्रशासनाला सहकार्य केले पाहिजे, असे आवाहन पालकमंत्री दिलीप वळसे-पाटील यांनी केले. News Story Feeds https://ift.tt/eA8V8J

March 29, 2020 0 Comments
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अख्या सिंधुदुर्ग अस्वस्थतेच्या वावटळीत

"कोरोना'ने जगाला प्रभावीत केले. सिंधुदुर्गही याला अपवाद नाही. अख्खा जिल्हा सध्या लॉकडाऊन आहे. प्रसंगी दंडुक्‍याचा धाक दाखवून संचारबंदीची अंमलबजावणी केली जात आहे. सिंधुदुर्ग प्रशासन लॉकडाऊनची अंमलबजावणी आणि लोकांना गरजेच्या वस्तू मिळण्याच्या दृष्टीने प्रयत्नांची पराकाष्ठा करत आहे; पण यातील बरेच उपाय शहरी भाग नजरेसमोर ठेवून आखले आहेत. गावोगाव मात्र अस्वस्थता, गैरसोय, लुबाडणुकीची भीती आणि लॉकडाऊनचा कालावधी वाढला तर हातावर पोट असलेल्यांना उपासमारीची चिंता, यामुळे मानसिक हाल-हाल सुरू आहेत. लॉकडाऊनचा अंमल लोक हळूहळू स्वीकारत असले तरी पूर्ण जिल्ह्यात अस्वस्थतेची वावटळ आहे. सिंधुदुर्गातील शहरी आणि ग्रामीण भागात फिरून तिथली स्थिती जाणून घेण्याचा प्रयत्न केला असता हे वास्तव पुढे आले. 

अख्खा जिल्हा इतके दिवस बंद राहू शकतो, घराबाहेर पडायलाही बंदी येवू शकते, विमानातून फिरणाऱ्या करोडपतींपासून, फाटके चप्पल घालून रोजच्या अन्नाची भ्रांत असलेल्या रोजंदारापर्यंत सगळ्यांना एकाच प्रकारची भीती सतावू शकते, याची कल्पनाच कोणी केली नव्हती; पण ती स्थिती प्रत्यक्ष अनुभवायला मिळतेच अशी भावना सिंधुदुर्गवासीयांची आहे. अर्थात प्रत्येकाच्या मनात भितीचे काहूर आहे. ही भिती अस्थित्वाची, कुटुंबाच्या काळजीची आणि असहाय्यतेची आहे. कोरोना पॉझिटीव्ह रूग्ण सिंधुदुर्गात मिळाल्यानंतर ही भिती कित्येक पटीने वाढली आहे. गावच्या देवावर भरवसा ठेवून जगात काहीही झाले तरी आमच्यापर्यंत काही येणार नाही या भाबड्या समजाला उभा तडा गेला आहे.

"देव गेले सुटीवर आणि विज्ञान आहे ड्युटीवर' याची जाणीव आता गावागावातल्या लहान थोरांना झाली आहे. या भीतीच्या चक्रव्यूहातून बाहेर कधी पडणार याची अनिश्‍चितता प्रत्येकाला सतावतेय. 
लॉकडाऊनमुळे शहरी आणि ग्रामीण भागाच्या सीमा रेषा अधिक गडद झाल्या आहेत. प्रत्येक ठिकाणच्या समस्या, प्रश्‍न, वेगळे आहेत. लॉकडाऊन झाले तेव्हा पहिल्या टप्प्यात शहरी भागात स्थानिक स्वराज्य संस्थांनी मनाला येईल तसे निर्णय घेतले. गर्दी टाळण्यासाठी बऱ्याच शहरात फक्त काही तासापुरती भाजीपाल्याची, किराणामालाची दुकाने उघडी ठेवण्याचे फतवे काढले. यामुळे लोकांची खरेदीसाठी झुंबड उडू लागली. यामुळे काही ठिकाणी दुकाने बंद केली गेली. यातून गोंधळ आणखीच वाढला. दुकानदारही माल मागवायला मागे पुढे करू लागले. पहिले चार- पाच दिवस हीच स्थिती होती. 

जिल्हाधिकारी के. मंजुलक्ष्मी यांनी वेळीच परिस्थिती ओळखून भाजी विक्री केंद्राचे विकेंद्रीकरण करत त्यांच्या वेळा वाढवल्या. याचा परिणाम आता दिसू लागला. आता गर्दी बऱ्यापैकी नियंत्रणात आली; मात्र तरीही अनावश्‍यक फिरणाऱ्यांची संख्या मात्र पूर्ण घटलेली नाही. बाहेर गावाहून आलेल्यांबद्दलची अनामिक भिती प्रकर्षाने जाणवत आहे. 

ग्रामीण भागातील स्थिती फार वेगळी आहे. इथे शहरासारखी यंत्रणा पोचलेली नाही. किराणा दुकानात मर्यादीत साठाच उपलब्ध आहे. यामुळे अवास्तव दरवाढीच्या तक्रारीही अनेक गावातून ऐकायला मिळाल्या. घरातील करती सवरती मुले, तरूण पुण्या - मुंबईसह गोव्यात व इतरत्र नोकरीला असण्याचे प्रमाण ग्रामीण भागात खूप आहे. घरात म्हातारे आई-वडील राहतात. त्यांचे आयुष्य अगदी साचेबद्ध असते. महिन्याला लागणारी औषधे, धान्य ठरलेल्या काळात आणले जाते. चाकरमानी ऑनलाईन बॅंकींगव्दारे पालकांच्या बॅंकेच्या खात्यात पैसे दरमहिन्याला भरतात. सर्रास ही बॅंकखाती गावाजवळच्या छोट्या मोठ्या शहरात असतात.

महिन्यात एकदा जायचे पैसे काढायचे आणि औषध, धान्य घेवून घर गाठायचे असा क्रम ठरलेला असतो. अशी जेष्ठ मंडळी सध्या दडपणाखाली आहेत. मुले-बाळे पुण्या- मुंबईत लॉडाऊन झाली आहे. कोरोनाच्या संकटाबाबत रोज नवीन काही ऐकायला मिळतच. त्यामुळे त्यांच्या सुरक्षेची चिंता या मायबापांना सतावतेय. यातच औषधे संपायला आलीत. धान्याचा साठाही मर्यादीत आहे. शहराकडे जायचे रस्ते बंद झाले. यामुळे ही स्थिती कधी निवळेल आणि मुले- बाळे कधी पाहयला मिळतील याची चिंता त्यांना आहे. 

हातावर पोट असणाऱ्यांची स्थिती तर याहून गंभीर आहे. शेती-बागायतीची कामे थांबली आहेत. लोक नाईलाजाने काजू बागायतीत जात आहेत. अनेक भागात माकडतापाचे सावटही सतावते आहे. मजुरी करणाऱ्यांना काम मिळेनासे झाले आहे. हातात असलेल्या मर्यादीत पैशात घर कस चालवायच याची चिंता त्यांना सतावते आहे. काजूचे दर कोसळत आहेत. पुढचा काळ काय नवा "दशावतार' मांडेल याची चिंता सगळ्यांनाच सतावत आहे. 

गाव पातळीवर काही भागात ग्रामपंचायती तेथील तरूण स्वयंस्फूर्तीने चांगली पावले उचलत असल्याचेही दिसले. गावात स्वच्छतेबाबत ते जागृती करताना दिसत आहेत. जिल्ह्याबाहेरून आलेल्या व उघड फिरणाऱ्यांना घरात थांबण्याचा खास मालवणी भाषेतील इशाराही हे तरूण देत आहेत. काही गावात तात्पुरती नाकी उभी केली आहेत. तिथे हात धुण्याची सोय केली आहे. बाहेरून येणाऱ्यांची चौकशी केली जात आहे; पण काही भागात अतिउत्साहही प्रकर्षाने दिसत आहेत. यात सार्वजनिक रस्ते, दगड लावून, कुंपण घालून बंद करणे, एखाद्याला जुन्या आकसातून कोरोनाचे निमित्त करून जेरीस आणल्याच्या घटनाही ऐकायला मिळाल्या. 

यातच अनेक गावात पुण्या- मुंबईतील चाकरमानी दाखल झाले आहेत. यातील अनेक जण उघड फिरत आहेत. काहींनी आरोग्य तपासणीही केलेली नाही. त्यांच्याबद्दल, त्यांच्या सहवासाबद्दलची अनामिक भितीही अनेक गावातून ऐकायला मिळाली. कोरोना बाबतच्या अफवाही बऱ्याच गावात ऐकायला मिळत होत्या. अन्न-धान्याचा पुरवठा अनियमीत झाला तरी घरात पेज-भात खावून आम्ही तीन-चार महिने सहज काढू शकतो हा विश्‍वासही अनेकजण अगदी अभिमानाने बाळगून असल्याचे जाणवले. 

स्थिती काहीही असली तर प्रशासनाने कमी वेळात चांगली पावले उचलली हे मात्र प्रकर्षाने जाणवले. लॉकडाऊननंतर पहिल्या तीन दिवसात अनावश्‍यक गर्दीवर नियंत्रण मिळवण्यात यश आले. त्या पाठोपाठ जीवनावश्‍यक वस्तूच्या पुरवण्याची व्यवस्था निर्माण व्हायला सुरूवात झाली. यामुळे किमान शहरी भागात तरी लोकांना आता अन्नधान्याची अडचण येणार नाही याचा विश्‍वास निर्माण झाला. आरोग्य, वीज, पाणी पुरवठा, ग्रामपंचायत आदी विभागाचे कर्मचारी जीवावर उदार होवून तुटपुंजे सुरक्षा पर्याय उपलब्ध असतानाही गावोगाव काम करताना दिसत आहेत. त्यातही आशा वर्कर, कंत्राटी आरोग्य कर्मचारी, अंगणवाडी कर्मचारी अशा तुटपुंज्या मानधनावर काम करणाऱ्यांना खरोखरच सलाम करावा तितका थोडा आहे. जिल्हाधिकारी मंजुलक्ष्मी, पोलिस अधिक्षक दिक्षितकुमार गेडाम आदी वरीष्ठ अधिकाऱ्यामधील समन्वय या निमित्ताने दिसून आला. 

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अख्या सिंधुदुर्ग अस्वस्थतेच्या वावटळीत "कोरोना'ने जगाला प्रभावीत केले. सिंधुदुर्गही याला अपवाद नाही. अख्खा जिल्हा सध्या लॉकडाऊन आहे. प्रसंगी दंडुक्‍याचा धाक दाखवून संचारबंदीची अंमलबजावणी केली जात आहे. सिंधुदुर्ग प्रशासन लॉकडाऊनची अंमलबजावणी आणि लोकांना गरजेच्या वस्तू मिळण्याच्या दृष्टीने प्रयत्नांची पराकाष्ठा करत आहे; पण यातील बरेच उपाय शहरी भाग नजरेसमोर ठेवून आखले आहेत. गावोगाव मात्र अस्वस्थता, गैरसोय, लुबाडणुकीची भीती आणि लॉकडाऊनचा कालावधी वाढला तर हातावर पोट असलेल्यांना उपासमारीची चिंता, यामुळे मानसिक हाल-हाल सुरू आहेत. लॉकडाऊनचा अंमल लोक हळूहळू स्वीकारत असले तरी पूर्ण जिल्ह्यात अस्वस्थतेची वावटळ आहे. सिंधुदुर्गातील शहरी आणि ग्रामीण भागात फिरून तिथली स्थिती जाणून घेण्याचा प्रयत्न केला असता हे वास्तव पुढे आले.  अख्खा जिल्हा इतके दिवस बंद राहू शकतो, घराबाहेर पडायलाही बंदी येवू शकते, विमानातून फिरणाऱ्या करोडपतींपासून, फाटके चप्पल घालून रोजच्या अन्नाची भ्रांत असलेल्या रोजंदारापर्यंत सगळ्यांना एकाच प्रकारची भीती सतावू शकते, याची कल्पनाच कोणी केली नव्हती; पण ती स्थिती प्रत्यक्ष अनुभवायला मिळतेच अशी भावना सिंधुदुर्गवासीयांची आहे. अर्थात प्रत्येकाच्या मनात भितीचे काहूर आहे. ही भिती अस्थित्वाची, कुटुंबाच्या काळजीची आणि असहाय्यतेची आहे. कोरोना पॉझिटीव्ह रूग्ण सिंधुदुर्गात मिळाल्यानंतर ही भिती कित्येक पटीने वाढली आहे. गावच्या देवावर भरवसा ठेवून जगात काहीही झाले तरी आमच्यापर्यंत काही येणार नाही या भाबड्या समजाला उभा तडा गेला आहे. "देव गेले सुटीवर आणि विज्ञान आहे ड्युटीवर' याची जाणीव आता गावागावातल्या लहान थोरांना झाली आहे. या भीतीच्या चक्रव्यूहातून बाहेर कधी पडणार याची अनिश्‍चितता प्रत्येकाला सतावतेय.  लॉकडाऊनमुळे शहरी आणि ग्रामीण भागाच्या सीमा रेषा अधिक गडद झाल्या आहेत. प्रत्येक ठिकाणच्या समस्या, प्रश्‍न, वेगळे आहेत. लॉकडाऊन झाले तेव्हा पहिल्या टप्प्यात शहरी भागात स्थानिक स्वराज्य संस्थांनी मनाला येईल तसे निर्णय घेतले. गर्दी टाळण्यासाठी बऱ्याच शहरात फक्त काही तासापुरती भाजीपाल्याची, किराणामालाची दुकाने उघडी ठेवण्याचे फतवे काढले. यामुळे लोकांची खरेदीसाठी झुंबड उडू लागली. यामुळे काही ठिकाणी दुकाने बंद केली गेली. यातून गोंधळ आणखीच वाढला. दुकानदारही माल मागवायला मागे पुढे करू लागले. पहिले चार- पाच दिवस हीच स्थिती होती.  जिल्हाधिकारी के. मंजुलक्ष्मी यांनी वेळीच परिस्थिती ओळखून भाजी विक्री केंद्राचे विकेंद्रीकरण करत त्यांच्या वेळा वाढवल्या. याचा परिणाम आता दिसू लागला. आता गर्दी बऱ्यापैकी नियंत्रणात आली; मात्र तरीही अनावश्‍यक फिरणाऱ्यांची संख्या मात्र पूर्ण घटलेली नाही. बाहेर गावाहून आलेल्यांबद्दलची अनामिक भिती प्रकर्षाने जाणवत आहे.  ग्रामीण भागातील स्थिती फार वेगळी आहे. इथे शहरासारखी यंत्रणा पोचलेली नाही. किराणा दुकानात मर्यादीत साठाच उपलब्ध आहे. यामुळे अवास्तव दरवाढीच्या तक्रारीही अनेक गावातून ऐकायला मिळाल्या. घरातील करती सवरती मुले, तरूण पुण्या - मुंबईसह गोव्यात व इतरत्र नोकरीला असण्याचे प्रमाण ग्रामीण भागात खूप आहे. घरात म्हातारे आई-वडील राहतात. त्यांचे आयुष्य अगदी साचेबद्ध असते. महिन्याला लागणारी औषधे, धान्य ठरलेल्या काळात आणले जाते. चाकरमानी ऑनलाईन बॅंकींगव्दारे पालकांच्या बॅंकेच्या खात्यात पैसे दरमहिन्याला भरतात. सर्रास ही बॅंकखाती गावाजवळच्या छोट्या मोठ्या शहरात असतात. महिन्यात एकदा जायचे पैसे काढायचे आणि औषध, धान्य घेवून घर गाठायचे असा क्रम ठरलेला असतो. अशी जेष्ठ मंडळी सध्या दडपणाखाली आहेत. मुले-बाळे पुण्या- मुंबईत लॉडाऊन झाली आहे. कोरोनाच्या संकटाबाबत रोज नवीन काही ऐकायला मिळतच. त्यामुळे त्यांच्या सुरक्षेची चिंता या मायबापांना सतावतेय. यातच औषधे संपायला आलीत. धान्याचा साठाही मर्यादीत आहे. शहराकडे जायचे रस्ते बंद झाले. यामुळे ही स्थिती कधी निवळेल आणि मुले- बाळे कधी पाहयला मिळतील याची चिंता त्यांना आहे.  हातावर पोट असणाऱ्यांची स्थिती तर याहून गंभीर आहे. शेती-बागायतीची कामे थांबली आहेत. लोक नाईलाजाने काजू बागायतीत जात आहेत. अनेक भागात माकडतापाचे सावटही सतावते आहे. मजुरी करणाऱ्यांना काम मिळेनासे झाले आहे. हातात असलेल्या मर्यादीत पैशात घर कस चालवायच याची चिंता त्यांना सतावते आहे. काजूचे दर कोसळत आहेत. पुढचा काळ काय नवा "दशावतार' मांडेल याची चिंता सगळ्यांनाच सतावत आहे.  गाव पातळीवर काही भागात ग्रामपंचायती तेथील तरूण स्वयंस्फूर्तीने चांगली पावले उचलत असल्याचेही दिसले. गावात स्वच्छतेबाबत ते जागृती करताना दिसत आहेत. जिल्ह्याबाहेरून आलेल्या व उघड फिरणाऱ्यांना घरात थांबण्याचा खास मालवणी भाषेतील इशाराही हे तरूण देत आहेत. काही गावात तात्पुरती नाकी उभी केली आहेत. तिथे हात धुण्याची सोय केली आहे. बाहेरून येणाऱ्यांची चौकशी केली जात आहे; पण काही भागात अतिउत्साहही प्रकर्षाने दिसत आहेत. यात सार्वजनिक रस्ते, दगड लावून, कुंपण घालून बंद करणे, एखाद्याला जुन्या आकसातून कोरोनाचे निमित्त करून जेरीस आणल्याच्या घटनाही ऐकायला मिळाल्या.  यातच अनेक गावात पुण्या- मुंबईतील चाकरमानी दाखल झाले आहेत. यातील अनेक जण उघड फिरत आहेत. काहींनी आरोग्य तपासणीही केलेली नाही. त्यांच्याबद्दल, त्यांच्या सहवासाबद्दलची अनामिक भितीही अनेक गावातून ऐकायला मिळाली. कोरोना बाबतच्या अफवाही बऱ्याच गावात ऐकायला मिळत होत्या. अन्न-धान्याचा पुरवठा अनियमीत झाला तरी घरात पेज-भात खावून आम्ही तीन-चार महिने सहज काढू शकतो हा विश्‍वासही अनेकजण अगदी अभिमानाने बाळगून असल्याचे जाणवले.  स्थिती काहीही असली तर प्रशासनाने कमी वेळात चांगली पावले उचलली हे मात्र प्रकर्षाने जाणवले. लॉकडाऊननंतर पहिल्या तीन दिवसात अनावश्‍यक गर्दीवर नियंत्रण मिळवण्यात यश आले. त्या पाठोपाठ जीवनावश्‍यक वस्तूच्या पुरवण्याची व्यवस्था निर्माण व्हायला सुरूवात झाली. यामुळे किमान शहरी भागात तरी लोकांना आता अन्नधान्याची अडचण येणार नाही याचा विश्‍वास निर्माण झाला. आरोग्य, वीज, पाणी पुरवठा, ग्रामपंचायत आदी विभागाचे कर्मचारी जीवावर उदार होवून तुटपुंजे सुरक्षा पर्याय उपलब्ध असतानाही गावोगाव काम करताना दिसत आहेत. त्यातही आशा वर्कर, कंत्राटी आरोग्य कर्मचारी, अंगणवाडी कर्मचारी अशा तुटपुंज्या मानधनावर काम करणाऱ्यांना खरोखरच सलाम करावा तितका थोडा आहे. जिल्हाधिकारी मंजुलक्ष्मी, पोलिस अधिक्षक दिक्षितकुमार गेडाम आदी वरीष्ठ अधिकाऱ्यामधील समन्वय या निमित्ताने दिसून आला.  News Story Feeds https://ift.tt/eA8V8J

March 29, 2020 0 Comments
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